हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन मिथिला में सीता स्वयंवर जीतकर भगवान श्री राम ने माता जानकी से विवाह रचाया था. इस शुभ अवसर पर श्री राम और माता सीता की विशेष पूजा का विधान है. इससे आपके सुख-सौभाग्य में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ ही आपके सारे काम भी सिद्ध होंगे. इसके अलावा इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है केले के पेड़ का पूजन का महत्व व विधि.
जानिए कब मनाई जाएगी विवाह
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12:49 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 6 दिसंबर को दोपहर 12:7 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विवाह पंचमी या राम विवाह 6 दिसंबर को है.
केले के पेड़ की पूजा
विवाह पंचमी के दिन केले के पेड़ का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को गुरु से संबंधित दोष है, तो वह केले के पेड़ की पूजा करने से दूर हो जाता है. देवताओं के गुरु यानी बृहस्पति को विवाह, संतान और धर्म का जानकार माना जाता है. ऐसे में जिनके विवाह या संतान प्राप्ति में देरी हो रही है, उन्हें इस तिथि पर केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
जानले केले के पेड़ की पूजा विधि
– विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
– इसके बाद पीले वस्त्र पहनकर केले के पेड़ पर पीली रस्सी बांधें.
– हल्दी-चंदन के साथ फूल चढ़ाने के बाद धूप और घी का दीपक जलाएं.
– भगवान राम के मंत्रों का जाप करें और श्रीराम भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं.
– केले के पेड़ की पूजा करते समय लक्ष्मीनारायण का ध्यान करें.
इसके बाद अक्षदा, पंचामृत, सुपारी, लौंग, इलायची, दीपक जैसी चीजें चढ़ाएं.
– फिर केले के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करें और केले के पेड़ के सामने अपनी विवाह संबंधी मनोकामना करें.