वो था महाभारत का सबसे सत्यवादी शख्स, ये युधिष्ठिर नहीं, खूबसूरत अप्सरा हुई उसकी दीवानी

महाभारत में केवल एक शख्स ऐसा है जिसने कभी कोई झूठ नहीं बोला. हमेशा सच ही कहा. उन्हें युधिष्ठिर से बड़ा सत्यवादी और सच की राह पर चलने वाला पाया गया. ये शख्स ताजिंदगी अविवाहित रहा. उन्हें दो महिलाओं ने शादी करने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इनकार कर दिया. स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी तो उनके आकर्षण में बंधी पृथ्वी तक चली आई. कई तरीके से उन्हें रिझाने की कोशिश की.

ये शख्स भीष्म पितामह थे, जिन्होंने कभी झूठ नहीं बोला. अपने दिए गए वचनों का आजीवन पालन किया. उन्होंने महाभारत में सबसे लंबी जिंदगी जी. तीन पीढ़ियों का साथ दिया. उनका वास्तविक नाम देवव्रत था. उनके जीवन के बड़े सच आगे बताएंगे और ये भी कि किस तरह उर्वशी उनके प्यार में पागल हो गई थी.

देवव्रत ने पिता राजा शांतनु को प्रसन्न करने और उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया. राजगद्दी छोड़ दी. उनकी इस महान प्रतीज्ञा के कारण उन्हें “भीष्म” की उपाधि मिली. पांडवों के लिए वो पितामह थे लिहाजा वह भीष्म पितामह कहे जाने लगे.

हमेशा सच पर टिके रहे, कभी कोई झूठ नहीं बोला
भीष्म ने हर परिस्थिति में धर्म और सत्य का पालन किया, चाहे वह उनके लिए कितना भी कष्टदायक क्यों न हो. उन्होंने कौरवों का पक्ष केवल अपने वचन के कारण लिया, भले ही वह जानते थे कि पांडव धर्म के मार्ग पर हैं. उनकी पांच बड़े सच के बारे में हम आगे बताएंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए कि किस तरह भीष्म को दो महिलाओं ने शादी का प्रस्ताव दिया और वह नहीं माने.

कौन थी विवाह का प्रस्ताव देने वाली पहली स्त्री
पहली स्त्री अंबा थीं, जो काशी नरेश की बेटी थीं. भीष्म पितामह ने अपने भाइयों (विचित्रवीर्य और चित्रांगद) के लिए काशी की तीन राजकुमारियों (अंबा, अंबिका, और अंबालिका) का स्वयंवर जीतकर हरण किया. हालांकि अंबा पहले से ही शाल्व राजा से प्रेम करती थीं. उनसे विवाह करना चाहती थी. जब भीष्म ने यह सुना, तो उन्होंने उन्हें वापस जाने दिया, लेकिन शाल्व ने उन्हें अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह भीष्म द्वारा हरण की जा चुकी थी.

अब अंबा वापस भीष्म के पास वापस लौटीं. उन्होंने भीष्म से प्रतिज्ञा तोड़कर उनसे शादी की मांग की. भीष्म ने अपने ब्रह्मचर्य व्रत और प्रतिज्ञा के कारण इसे अस्वीकार कर दिया.
तब अंबा ने प्रतिज्ञा की कि वह भीष्म के विनाश का कारण बनेगी. उसने कठोर तपस्या कर भगवान शिव से वरदान पाया. अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्म लेकर कुरुक्षेत्र युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बनी.

स्वर्ग की अप्सरा कैसे पड़ीं प्यार में
अब आइए जानते हैं कि कैसे स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी भी भीष्म के प्यार में पड़ गईं. वह किसी भी हालत में उनसे शादी करना चाहती थीं. महाभारत के अधिकांश प्रमुख संस्करणों में उर्वशी और भीष्म पितामह की कहानी का उल्लेख नहीं मिलता है. यह कथा महाभारत के मूल पाठ से अधिक लोक कथाओं और बाद के ग्रंथों में पाई जाती है.

भीष्म पितामह यानि देवव्रत जब युवा थे, तो उनकी वीरता, तप और तेजस्विता की ख्याति हर ओर फैल चुका थी. उनका व्यक्तित्व सुदर्शन और सुंदर था. इससे स्वर्ग की अप्सराएं भी उन्हें पाना चाहती थीं.

उर्वशी को लगा कि वह रूप का जादू चला सकेंगी
अप्सरा उर्वशी अपने सौंदर्य और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध थीं. वह भीष्म की दीवानी हो गईं. उन्हें अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था. उर्वशी ने सोचा कि वह निश्चित तौर पर शांतनु को अपने रूप और मोहकता से आकर्षित कर लेगी. वह तब उनके आकर्षण में बंधकर अपना व्रत तोड़ देंगे और तब वह उनसे शादी कर लेंगी.