चंद्रयान-3 मिशन का महत्व सिर्फ अंतरिक्ष अध्ययन तक सीमित नहीं है।
बल्कि, यह वैज्ञानिक समुदाय को बढ़ावा देने, इंजीनियरिंग और विज्ञान जैसे व्यापक क्षेत्रों में भागीदारी पर जोर देने तक फैला हुआ है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बुधवार को यह बात कही। बीते साल अगस्त में चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग की थी।
सोमनाथ ने यहां मीडिया से बातचीत करते हुए एक वैज्ञानिक पूल विकसित करने के महत्व पर जोर दिया जो न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण को बढ़ावा देता हो बल्कि विविध औद्योगिक अवसरों की भी तलाश करता हो।
उन्होंने जोर दिया कि चंद्रयान-3 का महत्व न सिर्फ अंतरिक्ष अनुसंधान बल्कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में दिलचस्पी बढ़ाने, इन क्षेत्रों में चुनौतियों और प्रगति को पेश कर युवा पीढ़ी को आकर्षित करने में है।
उन्होंने कहा कि चंद्रमा मिशन की सफलता ने इंजीनियरिंग, गणित और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के लिए भी रास्ते खोले हैं।
उन्होंने कहा, हमें युवा पीढ़ी को आकर्षित करना होगा और उन्हें विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में चुनौतियों और कामकाजी माहौल में सुधार के बारे में अवगत कराना होगा। चंद्रमा मिशन की सफलता से वह उत्साह पैदा हुआ है।
सोमनाथ ने कहा, हम आईटी क्षेत्र में बहुत अच्छी स्थिति में हैं और अग्रणी नियोक्ताओं में से एक बने हुए हैं, और अब हमने इलेक्ट्रॉनिक्स शुरू की है।
यदि आप इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को देखते हैं, तो हम शीर्ष की ओर नहीं देख रहे हैं। हम प्रणालियों के आपूर्तिकर्ता हैं। लेकिन हार्डवेयर सिस्टम के निर्माता नहीं हैं, धीरे-धीरे यह हो रहा है।
उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण से लेकर वैश्विक बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए एक मजबूत विनिर्माण आधार स्थापित करने तक इसरो की बढ़ती भूमिका का जिक्र किया।
अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग के संबंध में सोमनाथ ने कहा कि इसरो एक संयुक्त उपग्रह निसार बना रहा है।
उन्होंने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन विभिन्न देशों की भागीदारी में तैयार हो रहा है और इसरो इसके लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के साथ गठजोड़ कर रहा है।
Samachaar Today Latest & Breaking News Updates In Hindi