ग्वालियर
प्रदेश में एससी एसटी एक्ट में संशोधन की मांग करते हुए ग्वालियर में आगामी 16 नवंबर को प्रस्तावित विरोध दिवस के दौरान कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विरोध दिवस पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी गृह विभाग की है। युगलपीठ ने जिला कलेक्टर ग्वालियर को निर्देशित किया है कि वह स्थानीय मीडिया को निर्देशित करें कि विरोध प्रदर्शन के संबंध में अनावेदक तथा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष का विरोध प्रदर्शन के आह्वान संबंधित समाचार का प्रकाशन आगामी आदेश तक नहीं करें।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाज पांडे की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने 16 नवंबर को विरोध दिवस घोषित किया है। इस दौरान धरना-प्रदर्शन का आयोजन भी होगा। विरोध दिवस के दौरान शहर और हाईकोर्ट परिसर में कानून व्यवस्था बिगडऩे की संभावना है। याचिकाकर्ता तर्क दिया गया कि पूर्व में भी डॉ. भीम राव आंबेडकर की मूर्ति स्थापना को लेकर भी कानून व्यवस्था बिगड़ी थी। ग्वालियर स्थित उच्च न्यायालय परिसर और ग्वालियर शहर में हो रही कुछ घटनाओं के कारण आम लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरा है। अनावेदक में एक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होने ही अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस विरोध प्रदर्शन से अशांति फैलने की संभावना है।
याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2018 की शुरुआत में ग्वालियर में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके कारण कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी और अनिल मिश्रा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ग्वालियर के तत्कालीन अध्यक्ष थे। आह्वान और हाल ही में घटित कुछ घटनाओं को देखते हुए विरोध दिवस के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। याचिका में ग्वालियर स्थित उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के संबंध में निर्देश प्रदान करने का आग्रह किया गया है। याचिका में गृह विभाग के प्रमुख सचिव, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, कलेक्टर, ग्वालियर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा, भीम आर्मी जय भीम संगठन और अन्य को अनावेदक बनाया गया है। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए उक्त आदेश जारी किये। याचिका पर अगली सुनवाई 3 दिसंबर को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने पैरवी की।
Samachaar Today Latest & Breaking News Updates In Hindi