भोपाल
मध्य प्रदेश में मनरेगा योजना के अंतर्गत कार्यरत रहे संविदा उपयंत्री नवीन खरे की मौत ने फिर प्रशासनिक संवेदनहीनता की गहराई को उजागर कर दिया है। वर्ष 2006 में जनपद पंचायत शिवपुरी में संविदा उपयंत्री के रूप में नियुक्त नवीन खरे को वर्ष 2012 में सेवा से पृथक कर दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायालय ने जुलाई 2024 में उनके पक्ष में निर्णय देते हुए पुनः पदस्थापना के निर्देश दिए, लेकिन जिला प्रशासन ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए उन्हें ज्वाइनिंग नहीं दी।
मनरेगा अभियंता संघ के प्रांत अध्यक्ष सतीश कुमार समेले ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शिवपुरी जिले के अधिकारियों द्वारा ज्वाइनिंग दिलाने के नाम पर एक लाख की रिश्वत की मांग की गई थी। इस कथित मांग और लगातार प्रशासनिक उपेक्षा से नवीन खरे मानसिक रूप से टूट गए थे। तनाव और निराशा की इसी स्थिति में उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और इलाज के दौरान भोपाल एम्स में उनकी मृत्यु हो गई। 55 वर्षीय खरे अपने पीछे माता-पिता, सासू मां और दो बच्चों को छोड़ गए हैं।
कोर्ट के आदेश का पालन ही नहीं हुआ
परिवार का कहना है कि यदि न्यायालय के आदेश का पालन किया गया होता, तो आज नवीन जीवित होते। मृतक के परिजनों और साथियों ने विदिशा के दुर्गा चौक पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया तथा शिवपुरी कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और मनरेगा आयुक्त पर कार्रवाई की मांग की। उधर, राज्यभर में 1335 संविदा उपयंत्री अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर 85 दिनों से आंदोलनरत हैं। आंदोलन के दौरान अब तक चार संविदा उपयंत्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि वर्ष 2010 से अब तक 49 अभियंता असमय मौत का शिकार बने हैं।
Samachaar Today Latest & Breaking News Updates In Hindi