रतलाम
दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने की योजना में अब रेलवे सिग्नलिंग तकनीक को बेहतर किया जा रहा है। रतलाम रेलमंडल के ‘ई’ केबिन से नागदा जंक्शन के बीच 38 किलोमीटर और कांसुधी–पिपलोद सेक्शन में 28 किमी में आटोमैटिक ब्लाक सिग्नलिंग (एबीएस) कमीशन करने के बाद 30 अक्टूबर को रतलाम ‘ई’ केबिन से बजरंगगढ़ के मध्य लगभग 68.7 किलोमीटर लंबे खंड में एक साथ एबीएस प्रणाली में कमीशनिंग कार्य पूरा किया गया।
इसके साथ ही रतलाम मंडल ने भारतीय रेल के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा ऑटोमैटिक ब्लाक सिग्नलिंग सेक्शन कमीशन किया है। मंडल में एबीएस की कवरेज अब 66 किमी से बढ़कर 135 किमी हो गई है। दरअसल, दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए मिशन रफ्तार में ब्रिजों की मरम्मत, ओएचई रख-रखाव, सिगनलिंग सिस्टम में सुधार, कर्व री-अलाइनमेंट, एचबीम स्लीपर लगाने के साथ ही कवच सुरक्षा प्रणाली भी लागू की जा रही है। कवच 4.0 का ट्रायल मंडल के सेक्शन में हो चुका है।
303 किमी का वड़ोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन गैर ऑटोमैटिक था, जिसे अब ऑटोमैटिक किया जा रहा है। आठ-आठ घंटों की दो शिफ्ट में एबीएस कमिशनिंग का कार्य मंडल रेल प्रबंधक अश्वनी कुमार के नेतृत्व में, वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (समन्वय) आरएस मीना और दूरसंचार इंजीनियर स्पेशल कार्य दिव्या पारीक व टीम के समन्वय से पूरा किया गया।
रतलाम रेल मंडल की सफलता
संचालन और सुरक्षा बेहतर होगी नई सिग्नलिंग प्रणाली में इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग, विजुअल डिस्प्ले यूनिट्स, मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे ट्रेन संचालन की सुरक्षा, दक्षता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है। यह प्रणाली न केवल मानवीय त्रुटि की संभावना को कम करती है, बल्कि अधिक ट्रेनों के तेज और सुरक्षित परिचालन को भी संभव बनाती है। इसके साथ ही, रीयल-टाइम डेटा मानीटरिंग और ऊर्जा दक्षता जैसे फीचर्स रेलवे को भविष्य के उच्च गति वाले परिचालन के लिए तैयार करते हैं।
Samachaar Today Latest & Breaking News Updates In Hindi