रायपुर: सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरे सुरपनगुड़ा गाँव में अब शिक्षा की नई रोशनी फैल रही है। माओवादी प्रभावित इस क्षेत्र में पहले बच्चों की पढ़ाई शिक्षादूतों पर निर्भर थी और शिक्षक की कमी से अभिभावक चिंतित रहते थे। लेकिन अब छत्तीसगढ़ शासन की युक्तिकरण योजना के अंतर्गत प्राथमिक शाला सुरपनगुड़ा में नियमित शिक्षक की नियुक्ति होने से शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो गई है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप युक्तिकरण प्रक्रिया ने विद्यालयों में बच्चों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की पदस्थापना का रास्ता आसान बना दिया है। इसके बाद अब यहाँ बच्चों को नियमित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। विद्यालय में पढ़ाई की निरंतरता बनी है और अभिभावकों का विश्वास भी मजबूत हुआ है। पहले जहाँ कक्षाएँ तो संचालित होती थीं, पर नियमित शिक्षक न होने से बच्चों का भविष्य अधूरा दिखाई देता था, वहीं अब नई व्यवस्था से पढ़ाई का माहौल सकारात्मक हुआ है।
विद्यालय में मध्यान्ह भोजन योजना से बच्चों को पोषण के साथ शिक्षा का लाभ भी मिल रहा है। अभिभावक अब बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उत्साहित हैं और विद्यार्थी भी पढ़ाई में मन लगाकर अपने सपनों को नया आकार दे रहे हैं।
युक्तिकरण योजना से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, बल्कि इसकी पहुँच भी बढ़ी है। सुरपनगुड़ा जैसे दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्र में शिक्षा का दीप जलाना प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि है, जहाँ अब शिक्षक बच्चों को केवल पढ़ा ही नहीं रहे, बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दे रहे हैं।
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