भोपाल : जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाकर इनकी बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराया जा रहा है। हर माह 'लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा' में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का आयोजन किया जाता है। ‘शलाका’ के नाम से आयोजित इस चित्र प्रदर्शन मंच में गुरूवार (3 अक्टूबर) से गोण्ड समुदाय की जानी-मानी चित्रकार संतोषी श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का आयोजित की गई। 54वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी आगामी 30 अक्टूबर (मंगलवार से रविवार) तक जारी रहेगी।
गोण्ड जनजाति की युवा चित्रकार संतोषी श्याम का जन्म मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल डिण्डौरी जिले के पाटनगढ़ में हुआ, लेकिन पालन-पोषण और शिक्षा भोपाल में ही हुई। उनके पिता नर्मदाप्रसाद तेकाम ख्यातिलब्ध गोण्ड चित्रकार थे, जो स्व. जनगढ़सिंह श्याम के परिवार से ही आते हैं।
संतोषी श्याम ने कई एकल एवं संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। श्रेष्ठ चित्रकर्म के लिए इन्हें 'कालिदास सम्मान' सहित कुछ अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। संतोषी अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता नर्मदाप्रसाद तेकाम को देती हैं, जिनकी सतत् प्रेरणा से इन्होंने अपनी चित्रकला को सुघढ़ बनाया। श्याम की चित्रों में जंगली पशु-पक्षियों का जीवन्त चित्रण प्रमुखता से प्रकट होता है।
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