रायपुर
रायगढ़ में आयोजित चक्रधर समारोह के समापन कार्यक्रम में राज्यपाल श्री रमेन डेका मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह मंच न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि हमारे समृद्ध अतीत और कला-संगीत की अद्भुत परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का भी महत्वपूर्ण माध्यम है। राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि छत्तीसगढ़ और असम की संस्कृति में समानता है।
ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ से अनेक लोग असम आए और वहाँ रच-बस गए। राज्यपाल होने के नाते मेरी प्राथमिकता है कि यहाँ की संस्कृति को बढ़ावा मिले। यहाँ की शिक्षा व्यवस्था बहुत प्राचीन है। उन्होंने अतीत में रामायण, महाभारत से संबंधित दीये की रोशनी में खेले जाने वाले नाटकों का उल्लेख करते हुए कहा कि नैतिकता की शिक्षा के साथ नाटक भक्ति मार्ग से जोड़ते थे। भक्ति मार्ग से ही देश-प्रदेश का विकास संभव है।
राज्यपाल ने कहा कि भले ही हमारी उपासना पद्धति अलग-अलग है लेकिन हमें समाज के उत्थान के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि यहाँ आने से पूर्व हमने राजा चक्रधर सिंह के विषय में अध्ययन किया तो पाया कि वे एक महान इंसान थे। उन्होंने कथक को नई शैली के रूप में स्थापित कर पहचान दिलाई जिसे रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है।
राज्यपाल ने कहा कि इस मंच से प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और कला को नई ऊंचाईयां मिलेंगी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का सशक्त माध्यम बनेगा। हम सभी मिलकर इस धरोहर को आने वाले पीढिय़ों के लिए संरक्षित रखेंगे। उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आने वाले समय में भी यह आयोजन जारी रहेगा। हमारी प्राथमिकता है कि रायगढ हरा-भरा रहे और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए हम सभी एक पेड़ माँ के नाम पर लगाएं।
समारोह को संबोधित वित्त मंत्री एवं स्थानीय विधायक श्री ओ.पी.चौधरी ने भी संबोधित किया कि चक्रधर समारोह के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक वैभव को नई उंचाईयां और पहचान मिली है। इस अवसर पर राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी, आईजी श्री संजीव शुक्ला, संचालक संस्कृति विभाग श्री विवेक आचार्य, जनप्रतिनिधि सहित जिलाप्रशासन के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमन डेका सहित सभी अतिथियों ने स्वच्छता एवं सुपोषण की शपथ ली।
Samachaar Today Latest & Breaking News Updates In Hindi