देश में सोने की कीमतें की पहली छमाही में सालाना आधार पर 10 फीसदी बढ़ी हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद बढ़ाई है और भू-राजनीतिक तनाव के चलते भी गोल्ड डिमांड में इजाफा हुआ है। साथ ही, अमेरिकी फेड रिजर्व से मौद्रिक नीति में बदलाव की भी उम्मीद है। सोने के लिए ये भी सकारात्मक संकेत हैं और इसके चलते सोने की कीमतों में सालाना आधार पर 18 फीसदी का उछाल आया है।
इंपोर्ट ड्यूटी घटने से बढ़ी मांग
भारत में बजट 2024 से पहले सोने की डिमांड काफी सुस्त थी। खासकर, ज्वेलरी सेगमेंट में। सोने के अधिकतर खरीदार शादी-विवाह वाले थे। बाकी लोग जेवरात खऱीदने से बच रहे थे। लेकिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सोने पर आयात शुल्क घटाने का एलान किया और इससे पूरे देश में गोल्ड की डिमांड ने फिर से जोर पकड़ लिया।
इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो की रिपोर्ट बताती है कि खुदरा विक्रेताओं ने गोल्ड ऑर्डर बढ़ाया है, खासकर आगामी फेस्टिव और वेडिंग सीजन को देखते हुए। कुछ मामलों में तो गोल्ड ऑर्डर ने पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे जाहिर होता है कि उपभोक्ताओं की सोने में दिलचस्पी फिर से बढ़ गई है।
अब भी है निवेश का मौका?
जेवरात के साथ बार और सिक्कों की खरीद बढ़ी है। इससे पता चलता है कि निवेश के लिए भी सोने की डिमांड बढ़ी है। दरअसल, उपभोक्ताओं से लेकर जौहरी और निवेशक तक हर कोई सोने की घटी कीमतों का लाभ उठाना चाहता है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है। इससे भी सोने में तेजी आने की उम्मीद है।
इस साल सोने ने करीब 22 फीसदी का रिटर्न दिया है। भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और दूसरे फैक्टर को देखते हुए इसमें आगे भी तेजी का अनुमान है। आप अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिम कम करने के लिए सोने में निवेश पर विचार कर सकते हैं। आदर्श स्थिति में आपके पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी निवेश गोल्ड में होना चाहिए।
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